Just launched. All terrain. Completely mettalic. Fully automatic
It's drizzling outside as well as inside
Rain outside
Thoughts inside
Peasants are planting paddy
I am sowing words
They are doing outside
I am doing inside
Both of us have same cause of our actions
The magic know as rain and
It's drizzling outside
As well as inside.
Space2write (Ravi)
Years ago you called me
To say something into my ears
So that no one could listen to it
And those three magical words
Keep ringing in my mind
And always encourage me to sail across the storm
Where are you?
Please come to me
I have to say/whisper something to you
The magic of whisper
It’s very personal
It makes your feeling eternal
ख़ामोशी
निशब्द मानव ध्वनि रहित
अलग अलग जगह
अपने अर्थों के साथ सर्वत्र विद्यमान है
ख़ामोशी !
जैसे ही मैं धरती पर आया
मैं खामोश रहा
तब माँ का दिल घबराया
मुझे हिलाया डूलाया मेरी पीठ को सहलाया
और तो और मुझे चुटकी भी काटी
और तब मैं अपने पूरे आवेग से अपनी पहली क्रंदन ध्वनि निकाल पाया
कुछ महीने बाद
मेरी उसी क्रंदन ध्वनि से व्याकुल होती मेरी माँ
परेशान रहती तब तक जब तक की मैं खामोश नहीं हो जाता
मेरे जन्म के कुछ महीने में ही मेरी ख़ामोशी के दो अलग अलग मतलब
ढूंढ लिए थे दुनिया वालों ने ,
कुछ एक साल बाद मुझे विद्यालय नमक संस्था में भेजा गया
वहां मुझसे अपेक्षा की गई कि
मेरी आवाज और ख़ामोशी किसी और के अधीन रहेगी
वहां पूरे जोर शोर से सबसे पहले मुझे शांत रहना सिखाने की साजिश की गई
मैं तभी बोलता या खामोश रहता
जब वो मुझे कहता या कहती,
एकदम मशीनी काम
लड़कपन में अपनी बंदिशे तोड़ दी मैंने
मुखर हो रहा था
पास पड़ोस के लोगो ने कहा
बहुत बोलता है
अपने से बड़ो को जवाब देता है
बिगड़ रहा है लड़का चिंता का विषय था
जितने भी लोग मुझसे बड़े थे और बड़े होने में उनका कोई भी योगदान नहीं था
सबने अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करके मुझे शांत करने की कोशिश की
और काफी हद तक इस दमनात्मक कार्यवाही में सफल रहे
कुछ असहज सा अनुभव
पैदा कर देता हलचल
मन हो जाता व्याकुल
पर अब तक वाणी ने शब्दों का साथ छोड़ दिया था
और मन की बातों को कलम के सहारे कोरे कागज की तरफ मोड़ दिया था
अब मैं खुद से बातें करता
खामोश रह कर खूब शोर करता
और उसी शोर को कागज पर कलम के सहारे उतार देता
इसी तरह के माहौल से होता हुआ मैं युवा हुआ (और ज्यादातर ऐसे ही होते हैं)
पहले मुझे आश्चर्य होता था की
क्यों कुछ गलत होने पर लोग आवाज नहीं उठाते
फिर धीरे धीरे समझ आया कि आवाज उठाने की सजा तो यह बचपन से ही खाते आयें है
फिर कैसे कोई आवाज उठेगी
लेकिन जिन्दा कौमे सवाल पूंछती है
जागरूक समाज आवाज उठाता है
परन्तु हाय रे इस देश का दुर्भाग्य
यहाँ तो आवाज नीचे रखने और खामोश रहने की अफीम तो बचपन से ही दी जाती है
इसलिए इस सोये हुए समाज में मौत का सन्नाटा है
आओ आगे बढ़ो!
आवाज लगाओ
सवाल उठाओ
जिद करो जवाब पाने की
और अगली पीढ़ी को तैयार करो
सिंह गर्जना के लिए
स्वतंत्र चिंतन के लिए
तभी इस देश का स्वर्णिम समय आएगा
तोड़ो इस सन्नाटे को
छोड़ो इस ख़ामोशी को
क्योंकि एक दिन खुद ही हमेशा के लिए खामोश हो जाएगी
मेरी और तुम्हारी आवाजें
तो उस कयामत के दिन से पहले
कुछ ऐसा करें की हमारी आवाजें
हमारे जाने के बाद भी
तोडती रहें निशब्द मानव ध्वनि रहित
ख़ामोशी ! ख़ामोशी ! ख़ामोशी!
(रवि प्रताप सिंह )
Picture credit:https://www.mcall.com/opinion/mc-opi-border-walls-mexico-history-berlin-china-20190104-story.html
Both of us are in the alert mode
Having bullets, gun, pistol, dry ration, first aid kit, water bottle
Responsibility of security for my native citizen
And the smiling pic of my three year old daughter
The promise I made to her that I will come soon, the heaviest load.
And I am very much sure
My so called opponent too have all of these with some change
And both of us were just steps far from each other’s range
Why we are in this mode?
With lots of load
The man on other side of fence too
Wants to go back to his home
Wants to look after his ailing father
Wants to play with his son/daughter
Then why we are following this code
Why we are in this mode?
With lots of load.
Let’s abolish these boundaries and fences
Let’s give tight hug to people across the fence
Let’s see the world with different lens
The lens that see the whole world as a big family
The world where do not exist boundaries
Across the world just one road connecting to other road
In this world we will gaze each other in love mode
This will be more pleasurable load
We will happy to carry and share that
That is love, care and happiness.
I bet this is the most wanted and safe mode for humanity.
Yes
I needed you
I needed you badly, indeed
That was time,
when I was taking my first step to walk
That was time,
when I was uttering words to talk
That was time,
when I just began to eat by my hand
That was time,
When I just began to have my friend
Thanks to you for all the support you did
That was time
When I needed you indeed.
And now I have realized
Due to all of your kind deed
I am quite grown up indeed
Trust me,
I can handle my stuff
Don’t let your hands
To be my handcuffs
Let my feet find their land
Let me have deep dive into sea
I want to touch the sea floor
Let me have my tour
And I promise I will be always your’s.
Note: There is a thin line of demarcation between hand holding and holding (pulling) hand. And most of the time we (elders) unwillingly cross this demarcation line and we lose our dearest one. They feel so suffocated in our support system that they break this and free themselves to have fresh air and to explore the world. Not of caution is that by allowing them to explore it does not mean that we will not look after, just always be with them only when they need.
ऐसा लगता है
जैसे अभी कल ही की बात हो
जब मैं तुझसे आगे आगे भागता हुआ
अपने छोटे छोटे क़दमों से चलते हुए
तेरी पकड़ से दूर निकलना चाहता था
पर तेरी पहुँच के हमेशा पास
है न माँ,
मेरी माँ,
और मेरे पीछे पीछे हाथों को फैलाए हुए दौड़ती तेरी ममता
पकड़ ही लेती थी मुझे|
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब बैग में मेरा टिफिन रखती औत कहती
ख़त्म कर के आना
और स्कूल से आने के बाद सबसे पहले टिफिन देखती
आज कोई नहीं कहता
खाने को, माँ
खुद ही
पड़ता है खाना बनाना और
अकेले बैठ के खाना,
फिर भी लगता है कि
रसोई से तू बोल रही है,
बेटा एक रोटी और लाऊँ
ऐसी है माँ,
मेरी माँ,
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मुझे बुखार होने पर
तू रात भर नहीं सोई,
भगवान् की तस्वीर के आगे छुप-छुप कर रोई,
मेरे माथे पर गीली पट्टी रखते बदलते
मैंने देखे हैं तेरे आंसू निकलते,
अभी कल मैं बीमार था
शायद मुझे बुखार था
बीह्ग गया था ऑफिस से आने में
कपडे देर से बदले जाने अनजाने में,
बदन तप कर दर्द से टूट रहा था
ऐसा लगा कि तेरा साथ छूट रहा था,
तभी एकदम से मेरे अंदर हिम्मत आयी,
खुद ही उठ कर पानी लिया और दवा खाई,
जब सोया तो सिराहने पर तुझे पाया
तूने मेरे बालों को सहलाया,
और बोली, सब ठीक हो जायेगा
अभी थोड़ी देर में बुखार उतर जायेगा
सुबह फिर ऑफिस जाना था
पास न होते हुए भी तू थी यही मैंने जाना था,
है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मैं अच्छे नम्बरों से हुआ था पास,
तब तोडा था तूने रिजल्ट वाले दिन का उपवास,
रिजल्ट मेरा आया था
पर उस दिन तू हुई थी पास
अपने हाथों से बना कर मिठाई,
पास पड़ोस में तूने बटवाई
जब मैंने तेरे पैर छुए
तब तेरी आँख छलक आई,
पिछले महीने ही हुआ मेरा प्रमोशन
ऑफिस वालों के सेलिब्रेशन
केक काटा गया
सब में बाटा गया
मैं तलाश रहा था उन आँखों को जो ख़ुशी के मौके पर भी छलकती हैं
उस भीड़ भरे हॉल में मैं था अकेला,
जब मैं अपना रुमाल उठाने के लिए झुका
उसी समय किसी ने मेरे सर को छुआ
दूर रहकर भी रहती है मेरे पास
तू ही है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मेर खोई हुई किताब ढूढ़ने में
तूने सारा घर छान मारा
आस पास के बच्चों से से भी की जांच पड़ताल
ढूंढ कर ही रही तू मेरी किताब हर हाल
आज दुनिया की इस भीड़ में खो गया है तेरा लाल
आज शायद जिंदगी का सफ़र तय करते करते
बहुत दूर निकल आया हूँ
पर आज भी लगता है कि
तेरी ममता भरी आँखें और चमत्कारिक स्पर्श
मौलिक – अमौलिक रूप से मुझे छू रहा है
हैं न माँ
मेरी माँ
और मैं चाह कर भी तुझसे दूर नहीं जा सकता
क्योंकि मैं तो तेरा ही अंश हूँ
और मैं खुद को खुद से अलग तो नहीं कर सकता
क्योंकि मैं तेरी पकड़ से ही तो दूर हूँ
पर तेरी पहुँच के बहुत पास
है न माँ
मेरी माँ
(रवि प्रताप सिंह)
While I am lying on my 7×6 bed and watching TV simultaneously I am rotating around the axis of huge celestial body that have unique quality of inhabitating lives. And not only this I am revolving around the another celestial body that have enormous amount of energy. And you know one more celestial body is constantly revolving around mine place. All of these events are happening simultaneously and non stop since ages. I feel privileged being a part of this unique set-up. I found no reason to hate any living being on my planet. If you do have then please think yourself in bigger picture and I promise you will feel delighted and full of joy and all of your I'll feelings will be evaported in the warmth of love showered by nature.
ऐसा लगता है
जैसे अभी कल ही की बात हो
जब मैं तुझसे आगे आगे भागता हुआ
अपने छोटे छोटे क़दमों से चलते हुए
तेरी पकड़ से दूर निकलना चाहता था
पर तेरी पहुँच के हमेशा पास
है न माँ,
मेरी माँ,
और मेरे पीछे पीछे हाथों को फैलाए हुए दौड़ती तेरी ममता
पकड़ ही लेती थी मुझे|
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब बैग में मेरा टिफिन रखती औत कहती
ख़त्म कर के आना
और स्कूल से आने के बाद सबसे पहले टिफिन देखती
आज कोई नहीं कहता
खाने को, माँ
खुद ही
पड़ता है खाना बनाना और
अकेले बैठ के खाना,
फिर भी लगता है कि
रसोई से तू बोल रही है,
बेटा एक रोटी और लाऊँ
ऐसी है माँ,
मेरी माँ,
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मुझे बुखार होने पर
तू रात भर नहीं सोई,
भगवान् की तस्वीर के आगे छुप-छुप कर रोई,
मेरे माथे पर गीली पट्टी रखते बदलते
मैंने देखे हैं तेरे आंसू निकलते,
अभी कल मैं बीमार था
शायद मुझे बुखार था
बीह्ग गया था ऑफिस से आने में
कपडे देर से बदले जाने अनजाने में,
बदन तप कर दर्द से टूट रहा था
ऐसा लगा कि तेरा साथ छूट रहा था,
तभी एकदम से मेरे अंदर हिम्मत आयी,
खुद ही उठ कर पानी लिया और दवा खाई,
जब सोया तो सिराहने पर तुझे पाया
तूने मेरे बालों को सहलाया,
और बोली, सब ठीक हो जायेगा
अभी थोड़ी देर में बुखार उतर जायेगा
सुबह फिर ऑफिस जाना था
पास न होते हुए भी तू थी यही मैंने जाना था,
है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मैं अच्छे नम्बरों से हुआ था पास,
तब तोडा था तूने रिजल्ट वाले दिन का उपवास,
रिजल्ट मेरा आया था
पर उस दिन तू हुई थी पास
अपने हाथों से बना कर मिठाई,
पास पड़ोस में तूने बटवाई
जब मैंने तेरे पैर छुए
तब तेरी आँख छलक आई,
पिछले महीने ही हुआ मेरा प्रमोशन
ऑफिस वालों के सेलिब्रेशन
केक काटा गया
सब में बाटा गया
मैं तलाश रहा था उन आँखों को जो ख़ुशी के मौके पर भी छलकती हैं
उस भीड़ भरे हॉल में मैं था अकेला,
जब मैं अपना रुमाल उठाने के लिए झुका
उसी समय किसी ने मेरे सर को छुआ
दूर रहकर भी रहती है मेरे पास
तू ही है न माँ,
मेरी माँ!
ऐसा लगता है,
जैसे अभी कल ही की बात है,
जब मेर खोई हुई किताब ढूढ़ने में
तूने सारा घर छान मारा
आस पास के बच्चों से से भी की जांच पड़ताल
ढूंढ कर ही रही तू मेरी किताब हर हाल
आज दुनिया की इस भीड़ में खो गया है तेरा लाल
आज शायद जिंदगी का सफ़र तय करते करते
बहुत दूर निकल आया हूँ
पर आज भी लगता है कि
तेरी ममता भरी आँखें और चमत्कारिक स्पर्श
मौलिक – अमौलिक रूप से मुझे छू रहा है
हैं न माँ
मेरी माँ
और मैं चाह कर भी तुझसे दूर नहीं जा सकता
क्योंकि मैं तो तेरा ही अंश हूँ
और मैं खुद को खुद से अलग तो नहीं कर सकता
क्योंकि मैं तेरी पकड़ से ही तो दूर हूँ
पर तेरी पहुँच के बहुत पास
है न माँ
मेरी माँ
(रवि प्रताप सिंह)
बात
बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी
अब मजदूर की बात
हुजूर तक जाएगी
बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी
मजबूर की बात
मशहूर तक जाएगी
बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी
यह नया दौर है दोस्तों
यहाँ हर बात पे सबका गौर है
अब अत्याचार के पीड़ितों की आवाज दबेगी नहीं
कोयले के खदानों में काम काम करने वालों की सिसकियाँ नहीं दबेगी अब
वहां से निकल कर अब ये कोहिनूर तक जाएगी
बात निकलेगी तो अब दूर तक जाएगी
जब भी कुछ असहज लगे
कह दीजिये
मन में न रखिये कह दीजिये
क्योंकि बात का होते रहना बहुत जरूरी है
समझ में आना चाहिए की आपकी क्या मजबूरी है
यह तय नहीं है की कोई रास्ता दिखायेगा
पर यह तय है की कोई तो रास्ता आएगा
यह नया जमाना है आज का
एक बार धीरे से ही सही बात को निकलने दीजिये
बस
क्योंकि बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी
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